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saunf ki kheti

इस मसाले की खेती से होगा बंपर मुनाफा, घर से भोजनालय तक उपयोग किया जाता है

इस मसाले की खेती से होगा बंपर मुनाफा, घर से भोजनालय तक उपयोग किया जाता है

किसान भाई सौंफ की खेती कर के बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। इसकी उत्तम पैदावार अर्जित करने के लिए तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच होना चाहिए। यदि आप फलों एवं सब्जियों की खेती कर के ऊब गए हैं, तो आपके लिए यह खबर बेहद काम की साबित होने वाली है। किसान भाई अधिक मुनाफा पाने के लिए फल-सब्जियों से अलग मसालों की खेती भी कर सकते हैं। जिससे कि उन्हें बम्पर लाभ भी मिल पाएगा। सौंफ एक ऐसा मसाला है, जो घरों से लेकर बड़े-बड़े होटलों तक उपयोग में लिया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि किसान भाई कैसे इसकी खेती कर मालामाल बन सकते हैं।

सौंफ का उपयोग औषधियों में भी किया जाता है

सौंफ का इस्तेमाल विभिन्न पकवान और औषधियों में किया जाता है। बतादें, कि
केसर एवं वनिला की भाँति सौंफ भी काफी ज्यादा महंगा मसाला है। सौंफ की खेती करने के लिए खरीफ एवं रबी दोनों ही मौसम काफी अच्छे हैं। खरीफ के दौरान सौंफ की बुवाई की जाती है। वहीं, रबी के मौसम में इसकी बुवाई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है।

सौंफ की खेती के लिए कितना तापमान जरूरी है

किसान भाई मृदा पलटने के उपरांत 3 से 4 जुताई करके खेत को एकसार बना लें। इसकी अंतिम जुताई के दौरान 150 से 200 कुंतल सड़ी गोबर की खाद मिला देनी चाहिए। इसके पश्चात खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें। सौंफ की बेहतरीन उपज के लिए 20 से लेकर 30 डिग्री का तापमान होना आवश्यक है। समय के साथ ही सौंफ की मांग भी बढ़ी है।

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सौंफ की कटाई किस प्रकार की जाती है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसान भाईयों सौंफ जब पूरी तरह तैयार हो जाए और बीज पूरी तरह जब पककर सूख जाए तो ऐसे में गुच्छों की कटाई करनी चालू कर दें। सौंफ की कटाई करने के पश्चात एक दो दिन धूप में सुखा दें। सौंफ का हरा रंग हो जाए इसके लिए 10 से 12 दिन छाया में सुखाना चाहिए। सौंफ का इस्तेमाल घर से लेकर होटलों तक किया जाता है। सौंफ को खाने के लिए काफी लोग इच्छुक रहते हैं। सौंफ का सेवन लोग अपने मुँह को ताजापन महसूस कराने के लिए भी करते हैं।
सौंफ की खेती से भर जाएगी जिन्दगी में खुशबू

सौंफ की खेती से भर जाएगी जिन्दगी में खुशबू

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के किसान कृषि में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। भारत कृषि के क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान रखता है। भारत के सभी राज्य अलग-अलग प्रकार की खेती के लिए खास माने जाते हैं और आज इसी संबंध में हम बात करेंगे सौंफ(saunf; fennel) की खेती की। सौंफ जितना खाने में स्वादिष्ट होता है उतना ही उसकी विशेषता भी है। सौंफ की खेती मुख्य रूप से मसाले के लिए किया जाता है। लोग सौंफ का उपयोग खाना खाने के बाद मुखशुद्धि के तौर पर भी करते हैं। छोटी मिश्री के साथ सौंफ मिलाकर खाना खाने के बाद लोग इसका प्रयोग करते हैं, उसका अपना एक अलग स्वाद है। इसमें कई प्रकार के गुण पाए जाते हैं। सौंफ के बीज से तेल भी निकाला जाता है, और इसकी खेती मुख्य रूप से गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा तथा आंध्र प्रदेश में होती है। 

सौंफ की बुवाई कब व कैसे करें ?

इसकी बुवाई अक्टूबर माह में अच्छी मानी गयी है, लेकिन सितंबर से अक्टूबर तक इसकी बुवाई कर देनी चाहिए। इसकी रोपाई में लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौधों से पौधों की दूरी 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। 150 से 200 कुंटल सड़ी गोबर की खाद के साथ-साथ 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय देनी चाहिए।

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पौधा रोपने के बाद पहले हल्का सिंचाई करना चाहिए, फिर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करना चाहिए। जब पौधे तैयार हो जाए या पकने की स्थिति में हो जाए तो उस समय सिंचाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। सौंफ की फसल में बेल्ट रोग लगता है। इसको रोकने के लिए 0.3 प्रतिशत जलग्राही सल्फर अथवा 0.06 प्रतिशत पैराफिन का घोल छिड़काव करना चाहिए, तथा और अधिक प्रजातियों का भी इसमें प्रयोग करना चाहिए। पौधे जो पूरी तरह से विकसित होकर बीच से सूख जाते हैं, तब उसकी कटाई करनी चाहिए। कटाई करने के बाद इसे धूप में सुखाना चाहिए। सौंफ में हरा रंग आने के लिए 8 से 10 दिन किसी छाया वाले जगह पर सुखाना चाहिए। अगर हम इसकी पैदावार की बात करें तो 10 से 15 कुंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है। सौंफ की अलग-अलग प्रजाति होती हैं, जैसे गुजरात सौंफ1, गुजरात सौंफ 11,गुजरात सौंफ 2,आरएफ 125, बीएफ 35, आरएफ 105, एनआरसी एस एस ए 1, आर एफ 101, आरएफ 143 आदि।